नमस्तेऽस्तु महारौद्रे महाघोरपराक्रमे - देवी मंत्र

नमस्तेऽस्तु महारौद्रे महाघोरपराक्रमे।
महाबले महोत्साहे महाभयविनाशिनि॥

अर्थ - "हे महारौद्र (भयंकर) और महाघोरपराक्रमी (विशाल और भयंकर पराक्रमी) को मेरा नमन।
हे महाबलशाली, महोत्साहशाली, और महाभयनाशिनी (भय को नष्ट करने वाली), आपको मेरा नमस्कार है॥"

यह श्लोक हिंदू धर्म के पौराणिक पद्धति में पूजनीय देवी-देवताओं को समर्पित है। यह श्लोक भगवती दुर्गा को समर्पित है, जो शक्ति की स्वरूपिणी मानी जाती है। दुर्गा देवी के इस श्लोक का पाठ करने से उनकी कृपा प्राप्ति होती है और भक्त भय से मुक्त होते हैं। इसके अलावा, यह श्लोक उनकी महाशक्ति और वीरता को भी दर्शाता है। इसे नियमित रूप से जप करने से भक्त के जीवन में संतोष, सफलता, और सुरक्षा की प्राप्ति होती है।

प्रतिदिन स्नान करके प्रातः सायं, रोरी, चन्दन, सिन्दूर, अक्षत, पुष्प, प्रसाद, जल से श्रद्धा पूर्वक देवी की प्रतिमा का पूजन करें। उन्हें धूप, दीप दिखायें और मंत्र जप आरंभ कर दें। समयाभाव हो तो शुद्धता पूर्वक भगवती का मन में ध्यान करके जप करें। भक्तो! उपासना में भक्ति-भाव की प्रधानता होती है।









2024 के आगामी त्यौहार और व्रत











दिव्य समाचार











Humble request: Write your valuable suggestions in the comment box below to make the website better and share this informative treasure with your friends. If there is any error / correction, you can also contact me through e-mail by clicking here. Thank you.

EN हिं