बुधो बुद्धिमतां श्रेष्ठो बुद्धिदाता धनप्रदः।
प्रियंगुकुलिकाश्यामः कञ्जनेत्रो मनोहरः॥ १॥
ग्रहोपमो रौहिणेयः नक्षत्रेशो दयाकरः।
विरुद्धकार्यहन्ता सौम्यो बुद्धिविवर्धनः ॥२॥
चन्द्रात्मजो विष्णुरूपी ज्ञानी ज्ञो ज्ञानिनायकः।
ग्रह्पीडाहरो दारपुत्रधान्यपशुप्रदः ॥३॥
लोकप्रियः सौम्यमूर्तिः गुणदो गुणिवत्सलः।
पञ्चविंशतिनामानि बुधस्यैतानि यः पठेत्॥४॥
स्मृत्वा बुधं सदा तस्य पीडा सर्वा विनश्यति।
तद्दिने वा पठेद्यस्तु लभते स मनोगतम् ॥५॥
बुद्ध पंचविंशतिनाम स्तोत्रम का पाठ शिक्षा, वाणी और समग्र कल्याण से संबंधित आशीर्वाद चाहने वाले व्यक्तियों द्वारा भक्तिपूर्वक किया जाता है। यह हिंदू ज्योतिष और आध्यात्मिकता का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो भगवान बुद्ध को प्रसन्न करने और इस खगोलीय पिंड से जुड़े किसी भी नकारात्मक प्रभाव को कम करने के साधन के रूप में कार्य करता है।