सर्वमंगल मंगलये शिव सर्वार्थ साधिके - मंत्र

महत्वपूर्ण जानकारी

  • सभी प्रकार के शुभ प्रदान करने वाली, सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाली मंगलमयी, आप शरण लेने के पात्र हैं, तीन नेत्र अर्थात् भूतकाल प्रत्यक्ष रूप से वर्तमान को दिखाई देना चाहिए

ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।

शब्द का अर्थ:

ॐ सर्व मंगल मांगल्ये= सभी मंगलों में मंगल
शिवे= कल्याणकारी
सर्व अर्थ साधिके= सभी मनोरथों को सिद्ध करने वाली
शरण्ये = शरणागत वत्सला , शरण ग्रहण करने योग्य
त्रयम्बके= तीन नेत्रों वाली
गौरी= शिव पत्नी
नारायणी= विष्णु की पत्नी
नमः अस्तु ते = तुम्हे नमस्कार हैं

सब प्रकार का मंगल प्रदान करने वाली मंगलमयी कल्याण करने वाली, सब के मनोरथ को पूरा करने वाली, तुम्हीं शरण ग्रहण करने योग्य हो, तीन नेत्रों वाली यानी भूत भविष्य वर्तमान को प्रत्यक्ष देखने वाली हो, तुम्ही शिव पत्नी, तुम्ही नारायण पत्नी अर्थात भगवान के सभी स्वरूपों के साथ तुम्हीं जुडी हो, आप को नमस्कार है.







2024 के आगामी त्यौहार और व्रत











दिव्य समाचार












ENहिं