ये श्लोक भगवान अनंत को समर्पित एक संस्कृत श्लोक हैं, जिन्हें अक्सर भगवान विष्णु के साथ उनके शाश्वत रूप में जोड़ा जाता है।
यहाँ अनुवाद है:
अनन्त एवं नागानामधिपः सर्वकामदः ।
सदा भूयात् प्रसन्नोमे यक्तानाभयंकर।।
अनुवाद:
"हे भगवान अनंत, सभी नागों के शासक और सभी इच्छाओं को पूरा करने वाले,
आप मुझ पर सदैव प्रसन्न रहें और अपनी सुरक्षा प्रदान करें।”
अनंन्तसागरमहासमुद्रेमग्नान्समभ्युद्धरवासुदेव।
अनंतरूपेविनियोजितात्माह्यनन्तरूपायनमोनमस्ते॥
अनुवाद:
"अनंत के महान सागर में डूबा हुआ, मैं भगवान वासुदेव को नमस्कार करता हूं,
जो अनगिनत रूप धारण करता है और जिसका वास्तविक स्वरूप समझ से परे है।"
ये श्लोक भगवान अनंत के प्रति भक्ति व्यक्त करते हैं, जिन्हें भगवान विष्णु का शाश्वत रूप माना जाता है और अक्सर सुरक्षा और इच्छाओं की पूर्ति से जुड़े होते हैं।
संस्कृत श्लोक भगवान अनंत को समर्पित एक प्रार्थना है, जो भगवान विष्णु के अनंत रूप से जुड़ी है। इन छंदों को पढ़ने से आशीर्वाद, सुरक्षा और धार्मिक इच्छाओं की पूर्ति होती है। छंद भगवान अनंत और विष्णु के बीच शाश्वत बंधन पर जोर देते हैं, आध्यात्मिक संबंध, एकता और परमात्मा के प्रति श्रद्धा को बढ़ावा देते हैं। वे भक्तों के बीच आंतरिक शांति और भक्ति को बढ़ावा देने, परमात्मा के शाश्वत पहलू से मार्गदर्शन प्राप्त करने की असीम कृपा और महत्व पर प्रकाश डालते हैं।