हरिश्चंद्र मंदिर अहमदनगर

महत्वपूर्ण जानकारी

  • पता: अहमदनगर, महाराष्ट्र - 422604, भारत।
  • खुलने और बंद होने का समय: सुबह 06:00 बजे से रात 8:00 बजे तक
  • निकटतम रेलवे स्टेशन: हरिश्चंद्र मंदिर से लगभग 41 किलोमीटर की दूरी पर इगतपुरी ट्रेन स्टेशन।
  • निकटतम हवाई अड्डा: छत्रपति शिवाजी हवाई अड्डा हरिश्चंद्र मंदिर से लगभग 154 किलोमीटर की दूरी पर है।

हरिश्चन्द्रेश्वर मंदिर एक हिन्दू मंदिर है जो कि भारत के राज्य महाराष्ट्र के अहमद नगर में स्थित है। हरिश्चन्द्रेश्वर मंदिर का इतिहास महाराष्ट्र के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखाता है। इस मंदिर का निर्माण लगभग 6 वीं शताब्दी में शिलाहार परिवार शासित महाराष्ट्र और सह्याद्री से ज़ांज़ द्वारा किया गया था। मंदिर तक पैदल द्वारा जाया जाता है।

यह मंदिर काफी प्राचीन है। इस मंदिर का उल्लेख मत्स्यपुराण, अग्निपुरारण और स्कंदपुराण में दिया गया है। यह मंदिर एक किले में स्थित है, जिसका नाम हरिश्चन्द्रगढ़ है। शिलाहार शाही परिवार के शासन ने महाराष्ट्र में चौथी शताब्दी से नौवीं शताब्दी दर्ज की और उनके शासन काल के दौरान स्थापित कई किले जो बाद में 17 वीं और 18 वीं शताब्दी में मराठा शासन के लिए महत्वपूर्ण पाए गए।

इस मंदिर के दर्शन करने वाले लोग इसकी सुंदरता से मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। हरिश्चंद्रेश्वर मंदिर में पत्थरों से बनी कुछ बेहतरीन कला नक्काशी की मूर्तियां हैं जो प्राचीन भारत की हैं। यह मंदिर अपने आधार से 16 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। उन कुछ प्राचीन पानी की टंकियों और गुफाओं को भी देखा जा सकता है। इसके अलावा, यह भी कहा जाता है कि मंगल गंगा नदी इन्हीं तालाबों में से एक से निकलती है जो मंदिर के निकट स्थित है। मंदिर के शीर्ष कवर पर उत्तर भारतीय स्पर्श है।

केदारेश्वर गुफा

मंदिर के पास तीन मुख्य गुफाएं हैं। हरिश्चंद्रेश्वर मंदिर के दाहिनी ओर जाने पर केदारेश्वर की विशाल गुफा है, जिसमें एक बड़ा शिव लिंग है, जो पूरी तरह से पानी से घिरा हुआ है। आधार से इसकी ऊंचाई पांच फीट है, और शिव लिंग के चारों पानी है जिसकी गहराई लगभग 3 फीट है। शिव लिंग तक पहुंचना काफी कठिन है क्योंकि पानी काफी ठंडा व फीसलन वाला है। यहां नक्काशीदार मूर्तियां हैं। मानसून में इस गुफा तक पहुंचना संभव नहीं है, क्योंकि रास्ते में एक विशाल जलधारा बहती है। शिव लिंग के ऊपर एक विशाल चट्टान है। शिव लिंग के चारों ओर चार स्तंभ बने थे। इन स्तंभों के बारे में वास्तव में कोई नहीं जानता, लेकिन कहा जाता है कि इन स्तंभों का निर्माण जीवन के चार ’युगों’ - ’सत्य युग’, ’त्रेता युग’, ’द्वापर युग’ और ’कलियुग’ को दर्शाने के लिए किया गया था। जब एक युग अपने समय के अंत में आता है, तो कहा जाता है कि एक स्तंभ टूट जाता है। तीन स्तंभ पहले ही टूट चुके हैं। आम धारणा यह है कि वर्तमान चरण ’कलियुग’ है और जिस दिन चौथा स्तंभ टूट जायेगा - उसे वर्तमान युग का अंतिम दिन माना जाएगा।











2024 के आगामी त्यौहार और व्रत











दिव्य समाचार











Humble request: Write your valuable suggestions in the comment box below to make the website better and share this informative treasure with your friends. If there is any error / correction, you can also contact me through e-mail by clicking here. Thank you.

EN हिं