दुर्गा मंदिर एक हिन्दू मंदिर है जो भारत के राज्य उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में स्थित है। यह मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है। दुर्गा मंदिर को दुर्गा कुण्ड और लाल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। वाराणसी शहर का हिन्दूओं के लिए बहुत ही पवित्र व विशेष स्थान है तथा इस शहर का हिन्दू धर्म में धार्मिक महत्व भी है। दुर्गा मंदिर, वाराणसी के पुराने में मंदिरों में से एक है। वाराणसी शहर को काशी के नाम से भी जाना जाता है। दुर्गा मंदिर का उल्लेख ‘काशी खंड’ में भी मिलता है।
दुर्गा मंदिर का निर्माण लाल पत्थरों से किया गया था जो अति भव्य है। मंदिर के एक तरफ ‘दुर्गा कुण्ड’ है। दुर्गा मंदिर का निर्माण 18वीं शताब्दी में बंगाल की रानी भवानी ने करवाया था। मंदिर उत्तर भारतीय नागर शैली की वास्तुकला में बनाया गया था। देवी दुर्गा के केंद्रीय चिह्न के रंगों से मेल करने के लिए मंदिर को गेरू से लाल रंग से रंगा गया है। मंदिर के अंदर, बहुत सारे नक्काशीदार और उत्कीर्ण पत्थर पाए जा सकते हैं। मंदिर कई छोटे शिखर से मिलकर बना है। ऐसा माना जाता है कि मंदिर की मुख्य मूर्ति, जो देवी दुर्गा की है, वह मूर्ति स्वयंभू है अर्थात् मूर्ति का निर्माण किसी व्यक्ति द्वारा नहीं किया गया है।
इस मंदिर में माँ दुर्गा ‘यंत्र’ रूप में विरजमान है। दुर्गा मंदिर के पीछे देवी अन्नपूर्णा और गणेश का मंदिर है। दुर्गा मंदिर में जाने के लिए दो द्वार है। मुख्य द्वार मंदिर के प्रमुख परिसर के समाने है तथा दूसरा द्वार जो कि छोटा है, मंदिर के दाई तरफ है। दूर्गा मंदिर में बाबा भैरोनाथ, लक्ष्मीजी, सरस्वतीजी, हनुमान जी एवं माता काली के मंदिर भी है। यहाँ मांगलिक कार्य जैसे मुंडन इत्यादि में माँ के दर्शन के लिये आते है। मंदिर के अंदर हवन कुंड है, जहाँ रोज हवन होते हैं। कुछ लोग यहाँ तंत्र पूजा भी करते हैं।
दूर्गा मंदिर में सभी त्यौहार मनाये जाते है विशेष कर दुर्गा पूजा और नवरात्र के त्यौहार पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इन त्यौहारों के दौरान, कुछ लोग भगवान की पूजा के प्रति सम्मान और समर्पण के रूप में व्रत (भोजन नहीं खाते) रखते हैं। त्यौहार के दिनों में मंदिर को फूलो व लाईट से सजाया जाता है। मंदिर का आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं के दिल और दिमाग को शांति प्रदान करता है।