बटेश्वर नाथ मंदिर बहुत प्राचीन मंदिर है। बटेश्वर यमुना नदी के तट पर आगरा (उत्तर प्रदेश) से 70 किमी की दूरी पर स्थित है। बटेश्वर एक समृद्ध इतिहास के साथ सबसे पुराने गांवों में से एक है। यह भारत में महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र में से एक है। बटेश्वर स्थल यमुना और शौरीपुर के तट पर स्थित 101 शिव मंदिरों के लिए जाना जाता है। हिंदुओं के भगवान शिव के सम्मान में यमुना नदी तट पर स्थित बटेश्वर धाम की तीर्थयात्रा करते हैं। कुछ मंदिरों की दीवारों और छत में आज भी सुन्दर आकृतियां बनी हुई है। 22वें तीर्थंकर प्रभु नेमिनाथ शौरीपुर में पैदा हुआ थे। इस क्षेत्र के रूप में अच्छी तरह से जैन पर्यटकों को आकर्षित करती है।
यमुना के तट पर एक पंक्ति में 101 मंदिर स्थित हैं जिनको राजा बदन सिंह भदौरिया द्वारा बनाया गया था। राजा बदन सिंह ने यमुना नदी के प्रवाह को जो कभी पश्चिम से पूर्व कि ओर था उसको बदल कर पूर्व से पश्चिम की ओर अर्थात् बटेश्वर की तरफ कर दिया गया था। इन मंदिरों को यमुना नदी के प्रवाह से बचाने के लिए एक बांध का निर्माण भी राजा बदन सिंह भदौरिया द्वारा किया गया था। बटेश्वर नाथ मंदिर का रामायण, महाभारत, और मत्स्य पुराण के पवित्र ग्रंथों में इसके उल्लेख मिलता है।
बटेश्वर मंदिर में सावन का महीना बहुत ही अहम है। सावन के महीने में यह मेला के आयोजन किया जाता है। भक्त बटेश्वर बाबा पर गंगा जल अप्रीत करने के लिए बटेश्वर से लगभग 160 किलोमीटर दूर से गंगा जल भक्त अपनी कावर में लेकर आते है। बटेश्वर धाम में सावन महीनें के प्रत्येक सोमवार को ही कावर का जल अप्रीत किया जाता है। इस दौरान हजारों भक्त कावर लेकर बटेश्वर मंदिर में आते है। शिवरात्रि बटेश्वर मंदिर का प्रमुख त्योहार है।