सूर्य मंदिर एक हिन्दू मंदिर है जो भगवान सूर्य देव को समर्पित है। यह मंदिर गुजरात के मेहसाणा जिले के मोढेरा गांव में पुष्पापति नदी के किनारे स्थित है। यह सूर्य मन्दिर भारतवर्ष में विलक्षण स्थापत्य एवम् शिल्प कला का बेजोड़ उदाहरण है तथा यह मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के अन्तर्गत संरक्षित है। सूर्य मंदिर अपनी बेजोड़ शिल्प कला कारण विश्व भर में प्रसिद्ध है। कहा जाता है कि अलाउद्दीन खिलजी ने मंदिर को तोड़ कर खंडित कर दिया था।
इस मंदिर का निर्माण 1027-27 ईस्वी में चौखुआ वंश के राजा भीमदेव प्रथम द्वारा किया गया था। मंदिर का निर्माण 23.6 डिग्री अक्षांश पर किया गया है। वर्तमान समय में इस मन्दिर में पूजा करना निषेध है। इस मंदिर परिसर में तीन भागों में बना हुआ है। पहला गुधमांदपा जो मंदिर को गर्भगृह है। दूसरा सबमांदपा जो मंदिर को विधानसभा कक्ष (सभामंडप) है। तीसरा सूर्य कुंड जिसको राम कुंण्ड भी कहा जाता है।
मंदिर के गर्भगृह के अंदर की लंबाई 51 फुट 9 इंच तथा चैड़ाई 25 फुट 8 इंच है। मंदिर के सभामंडप में कुल 52 स्तंभ हैं। इन स्तंभों पर बेहतरीन कारीगरी से विभिन्न देवी-देवताओं के चित्रों और रामायण तथा महाभारत के प्रसंगों को उकेरा गया है। इन स्तंभों को नीचे की ओर देखने पर वह अष्टकोणाकार और ऊपर की ओर देखने पर वह गोल दृश्यमान होते हैं। इस मंदिर का निर्माण कुछ इस तरह किया गया था कि जिसमें सूर्योदय होने पर सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह को रोशन करे। सभामंडप के आगे एक विशाल कुंड स्थित है जिसे लोग सूर्यकुंड या रामकुंड के नाम से जानते हैं। सूर्य कुंड में जाने का एक ही रास्ता है और कुंड में सीढीयों द्वारा जाया जाता है। कुंड के अन्दर लघु आकार के कई छोटे बडे मंदिर का निर्माण किया गया है जो कि देवी-देवाताओं, जैसे देवी शीतलामाता, गणेश, शिव और विष्णु तथ अन्य देवताओं को समर्पित है।
गुजरात के पर्यटन निगम द्वारा उत्तरयान (मकर संक्रांति) त्योहार के बाद हर साल जनवरी के तीसरे सप्ताह के दौरान मंदिर में तीन दिवसीय नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जाता है जिसको ‘उत्तरादार्थ महोत्सव’ व ‘मोढेरा नृत्य महोत्सव’ के नाम से जाता जाता है। इसका महोत्सव का उद्देश्य एक ऐसे वातावरण में शास्त्रीय नृत्य रूपों को पेश करना है, जिसमें वे मूल रूप से प्रस्तुत किए जाते थे।