वीरुपाक्ष मंदिर

महत्वपूर्ण जानकारी

  • Location: Hampi, Karnataka 583239
  • Temple Opening and Closing Timings: 09.00 am to 01:00 pm and 05:00 pm to 09:00 pm
  • Nearest Railway Station:  Hospet, which is around 13 km away from the Virupaksha temple.
  • Nearest Air Port : Belgaum Airport, which is around 271 km away from the Virupaksha temple.
  • Best Time ot Visit: August to March.
  • Architectural style: Hindu Temple
  • Main Festival : Maha Shivratri, Annual Ratha Yatra, Phalapuja festival .
  • Primary Deity : Shiva.
  • Photography: Not Allowed.
  • Date built: 7th century
  • Creator: Chalukyas

वीरुपाक्ष मंदिर भारत के प्रसिद्ध ऐतिहासिक मंदिरों में से एक है तथा इस मन्दिर का संबंध इतिहास प्रसिद्ध विजयनगर साम्राज्य से है। यह मंदिर बंगलौर से 350 किलोमीटर की दूरी पर भारत के कर्नाटक राज्य, हम्पी में स्थित है। यह मंदिर हम्पी के ऐतिहासिक स्मारकों के समूह का एक मुख्य हिस्सा है, विशेषकर पट्टडकल में स्थित स्मारकों के समूह में है। एक मंदिर नाम यूनेस्को, विश्व धरोहर स्थल में शामिल है। यह मंदिर भगवान विरुपक्ष और उनकी पत्नी देवी पंपा को समर्पित है विरुपक्ष, भगवान शिव का ही एक रूप है। इस मंदिर के पास छोटे-छोटे और मंदिर जोकि अन्य देवी देवताओं को समर्पित है। आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिला, तिरुपति से करीब 100 किलोमीटर दूर नलगानापल्ली नामक एक गांव में वीरूक्षिनी अम्मा मंदिर (मां की देवी) भी है।

यह मंदिर विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हम्पी, तुंगभद्रा नदी के किनारे पर स्थित है। विम्पाक्ष मंदिर, हम्पी में तीर्थ यात्रा का मुख्य केंद्र है, और सदियों से सबसे पवित्र अभयारण्य माना जाता है। आसपास के खंडहरों में यह मंदिर अब भी बरकरार है और अभी भी मंदिर में भगवान शिव की पूजा कि जाती है।

वीरुपाक्ष मंदिर विक्रमादित्य द्वितीय की रानी लोकमाहदेवी, द्वारा बनाया गया था। यह मंदिर रानी लोकमादेवी ने राजा विक्रमादित्य को कांचीपुरम के पल्लव के राजा पर विजय पाने के लिए इस मंदिर का निर्माण करवाया था। यह मंदिर नौ स्तरों और 50 मीटर ऊंचा गोपुरम वाला यह मंदिर तुंगभद्रा नदी के दक्षिणी किनारे पर हेमकूट पहाड़ी की तलहटी पर स्थित है। यह मंदिर दक्षिण भारतीय द्रविड़ स्थापत्य शैली को दर्शाता है और ईंट तथा चूने से बनाया गया है। मंदिर में वास्तुकला का एक द्रवियन शैली है और कांचीपुरम में कैलासनाथ के प्रसिद्ध पल्लव मंदिर की शैली से मिलता जुलता है।

विरुपाक्ष मंदिर के प्रवेश द्वार का गोपुरम हेमकुटा पहाड़ियों व आसपास की अन्य पहाड़ियों पर रखी विशाल चट्टानों से घिरा है और चट्टानों का संतुलन हैरान कर देने वाला है। 1509 में अपने अभिषेक के समय कृष्णदेव राय ने यहाँ के गोपुड़ा का निर्माण करवाया था।

विरुपाक्ष मन्दिर का शिखर जमीन से 50 मीटर ऊंचा है। इस विशाल मन्दिर के अंदर अनेक छोटे-छोटे मन्दिर हैं, जो विरुपाक्ष मन्दिर से भी प्राचीन हैं। मन्दिर को ‘‘पंपापटी मन्दिर’’ भी कहा जाता है, यह हेमकुटा पहाड़ियों के निचले हिस्से में स्थित है।

ऐसा माना जाता है कि भगवान विष्णु ने इस जगह को अपने रहने के लिए कुछ अधिक ही बड़ा समझा और अपने घर वापस लौट गए। विरुपाक्ष मन्दिर में भूमिगत शिव मन्दिर भी है। मन्दिर का बड़ा हिस्सा पानी के अन्दर समाहित है, इसलिए वहाँ कोई नहीं जा सकता। बाहर के हिस्से के मुकाबले मन्दिर के इस हिस्से का तापमान बहुत कम रहता है।











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