हरसिद्धि मंदिर उज्जैन का एक प्रसिद्ध मंदिर है जो कि भारत का एक प्राचीन शहर है, मध्य प्रदेश में स्थित है। हरसिद्धि मंदिर पूर्णतः देवी अन्नपूर्णा माता को समर्पित है। इस मंदिर में देवी की प्रतिमा गहरे सिंदूरी रंग में रगी हुई है। देवी अन्नपूर्णा की मूर्ति देवी महालक्ष्मी और देवी सरस्वती की मूर्तियों के बीच विराजमान है।
श्रीयंत्र शक्ति की शक्ति का प्रतीक है और श्रीयंत्र भी इस मंदिर में प्रतिष्ठित है। मंदिर के गर्भ ग्रह के सामने एक ‘श्री यंत्र’ है। यह स्थान हरसिद्धि मंदिर के प्रवित्र स्थानों में से एक है। ऐसा कहा जाता है कि श्रीयंत्र के दिव्य दर्शन करने एक सद्गुण अपने जीवन मे प्राप्त कर सकते है। इस पवित्र स्थान पर भगवान शिव जो कि ‘कर्काेटकेश्वर महादेव’ के नाम से जाने जाते है विराजमान है जो कि 84 महादेवों में से एक है। जहां ऐसा माना जाता है कि कालसर्प दोष की पूजा करने से दोष समाप्त हो जाता है।
हरसिद्धि मंदिर उज्जैन में राम घाट और महाकालेश्वर मंदिर के बीच स्थित है। इसलिए श्रद्धालु महाकालेश्वर मंदिर में ज्योति लिंग के दर्शन के लिए आते है तो श्रद्धालु हरसिद्धि देवी के दर्शन जरूर करते है तथा देवी का आर्शिवाद प्राप्त करते है। यह मंदिर महाकालेश्वर मंदिर से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
हरसिद्धि मंदिर का पुनर्निर्माण मराठों के शासनकाल में किया गया था, अतः मराठी कला की विशेषता दीपकों से सजे हुए दो खंभों पर दिखाई देती है। नवरात्री के त्यौहार के दौरान दीपकों से इस खंभो की सुन्दरता तथा मदिर का वातावरण दिव्य हो जाता है।
हरसिद्धि मंदिर 51 सिद्व पीठों में से एक है। हरसिद्धि मंदिर में देवी के दर्शनों के लिए भक्त पूरे भारत से आते है। नव राात्रि के त्यौहार के दौरान बड़ी संख्या में लोग दर्शनों के लिए मंदिर में आते है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती ने उनके पिता दक्षेस्वर द्वारा किये यज्ञ कुण्ड में अपने प्राण त्याग दिये थे, तब भगवान शंकर देवी सती के मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्माण चक्कर लगा रहे थे इसी दौरान भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया था, जिसमें से सती की कोहनी इस स्थान पर गिरी थी।
हरसिद्धि मंदिर में सभी त्यौहार मनाये जाते है विशेष कर दुर्गा पूजा व नवरात्र के त्यौहार पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इस दिन मंदिर को फूलो व लाईट से सजाया जाता है। मंदिर का आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं के दिल और दिमाग को शांति प्रदान करता है।