कमलेश्वर महादेव मंदिर, श्रीनगर

महत्वपूर्ण जानकारी

  • स्थान: कमलेश्वर, श्रीनगर - खोग्चा रोड, श्रीनगर, उत्तराखंड 246174।
  • खुला और बंद समय: सुबह 05:00 से शाम 07:00 तक
  • निकटतम रेलवे स्टेशन: कमलेश्वर मंदिर से लगभग 104 किलोमीटर की दूरी पर ऋषिकेश रेलवे स्टेशन।
  • निकटतम हवाई अड्डा: देहरादून हवाई अड्डा - जॉली अनुदान, कमलेश्वर मंदिर से लगभग 151 किलोमीटर की दूरी पर हवाई अड्डा।
  • क्या आप जानते हैं: कमलेश्वर महादेव मंदिर पौड़ी गढ़वाल के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। केदारखंड के अनुसार इस मंदिर का नाम हिमालय के पांच महेश्वर पीठों में आता है।

कमलेश्वर महादेव मंदिर एक हिन्दू मंदिर है जैसे कि नाम से ज्ञात होता है कि यह भगवान शिव समर्पित एक शिव मंदिर है। यह मंदिर भारत के राज्य उत्तराखंड के शहर श्रीनगर में स्थित है। यह मंदिर पौड़ी गढ़वाल से सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर का नाम केदारखंड के अनुसार हिमालय के पांच महेश्वर पीठों में आता है।

कमलेश्वर मंदिर में भगवान शिव के अलावा भगवान गणेश और आदि शंकराचार्य की मूर्तियाँ भी स्थिपित हैं। इस मंदिर छोटे छोटे मंदिर भी है इन मंदिरों में कई देवी देवताओं के मूर्तियाँ स्थिपित हैै; माता सरस्वती, गंगा, देवी अन्नपूर्णा और नंदी इत्यादि। भगवान शिव मुख्य गर्भगृह में मौजूद है।
ऐसा माना जाता है कि कमलेश्वर मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य द्वारा किया गया था। वर्ष 1960 में इस मंदिर का पुनः निर्माण का कार्य बिड़ला परिवार द्वारा किया गया था।

मान्यताएँ और पौराणिक कथा

कमलेश्वर मंदिर से जुड़ी कई कथाएँ व मान्यताएँ है, ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने भगवान शिव की यह पूजा कि थी। भगवान विष्णु ने 1000 कमल के फुल अर्पित किये जिनमें प्रत्येक फुल के साथ भगवान शिव के नाम का ध्यान किया इस प्रकार भगवान शिव के 1000 नामों के साथ फुल अर्पित किये गये थे। परन्तु भगवान शिव ने एक फूल को छिपा दिया। जब भगवान विष्णु ने जाना कि एक फूल कम हैं। तो उसके बदले में उन्होंने अपनी एक आंख चढ़ाने का निश्चय किया, उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें सुदर्शन चक्र प्रदान कर दिया। इसके पश्चात इस मंदिर का नाम कमलेश्वर मंदिर पड़ा।
एक दूसरी मान्यता के अनुसार भगवान राम ने ब्रह्म हत्या के प्रायश्चित हेतु भगवान शिव को 1000 पुष्प अर्जित किये जिस कारण मंदिर का नाम कमलेश्वर मंदिर पड़ा।

ऐसा माना जाता है कि कार्तिक चतुर्दशी के दिन निःसंतान दंपत्ति पूरी रात हाथ में घी का दीपक लेकर खड़े रहते हैं और भगवान शिव का ध्यान करते है तो निःसंतान दंपत्ति को संतान प्राप्त होती है।

मेला और महोत्सव

कमलेश्वर मंदिर का सबसे महत्त्वपूर्ण त्योहार शिवरात्रि का त्योहार है जो बड़े पैमाने पर भव्यता औ उत्साह के साथ मनाया जाता है। बैकुंड चतुर्दर्शी को यहां एक विशेष उत्सव का आयोजन किया जाता है। जिसमें ज्यादतर निःसंतान दंपत्ति संतान प्राप्ति के लिए पूजा करने आते है।




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