ताड़केश्वर महादेव मंदिर

महत्वपूर्ण जानकारी

  • पता: तारकेश्वर रोड, मलारा बारा, उत्तराखंड 246155
  • समय: गर्मी का मौसम - सुबह 05:00 बजे से शाम 07:00 बजे तक। सर्दी का मौसम - सुबह 06:30 से शाम 05:00 बजे तक।
  • सर्वोत्तम समय यात्रा: मार्च से अक्टूबर,
  • निकटतम रेलवे स्टेशन: तारकेश्वर मंदिर से लगभग 68.9 किलोमीटर की दूरी पर कोटद्वार रेलवे स्टेशन।
  • निकटतम हवाई अड्डा: तारकेश्वर मंदिर से लगभग 172 किलोमीटर की दूरी पर जॉली ग्रांट हवाई अड्डा।
  • सड़क मार्ग से: दिल्ली से लैंसडाउन की दूरी लगभग 272 किमी और लैंसडाउन से तारकेश्वर मंदिर की दूरी लगभग। 37 किमी.

ताड़केश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव के प्रसिद्ध मन्दिरों में से एक है। यह मंदिर भारत के राज्य उत्तराखंड के गढ़वाल जिले के लैंसडाउन क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर लैंसडाउन से लगभग 36 किलोमीटर के दूरी पर एक गांव में स्थित है। यह स्थान भगवान शिव को समर्पित स्थान के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर का नाम उत्तराखंड प्राचीन मंदिरों में आता है तथा इस मंदिर को महादेव के सिद्ध पीठों में से एक कहा जाता है। ताड़केश्वर महादेव मंदिर देवदार के पेड़ों व शांत वातावरण से घिरा हुआ है। यह स्थान ऋषियों के लिए एक सर्वोत्तम धार्मिक स्थान है।

तारकेश्वर महादेव मंदिर की कहानी

पौराणिक कथा के अनुसार, ताड़कासुर नाम के एक राक्षस था, जिसने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी। भगवान शिव ताड़कासुर की तपस्या से प्रसन्न हुये और ताड़कासुर का वरदान मांगने के लिए कहा। वरदान के रूप में ताड़कासुर ने अमरता का वरदान मांगा परन्तु भगवान शिव ने अमरता का वरदान नहीं दिया और कहा यह प्रकृति के विरूध है कुछ और वर मांगो। तब ताड़कासुर ने भगवान शिव के वैराग्य रूप को देखते हुए, कहां की अगर मेरी मृत्यु हो तो सिर्फ आपके पुत्र द्वारा ही हो। ताड़कासुर जानता था, कि भगवान शिव एक वैराग्य जीवन व्यतीत कर रहे है, इसलिए पुत्र का होना असंभव था। तब भगवान शिव ने ताड़कासुर का वरादान दे दिया। वरदारन मिलते ही ताड़कासुर ने अपना आतंक फैला दिया।

कई वर्षो के अन्तराल बाद माता पार्वती ने भगवान शिव से विवाह हेतु तप किया और अपने शक्ति रूप को जानने के बाद भगवान शिव से विवाह किया। विवाह के बाद माता पार्वती ने कार्तिक को जन्म दिया जिसने भगवान शिव की सहायता से ताड़कासुर का वध किया। जब ताड़कासुर अपनी अन्तिम सांसे ले रहा था तब उसने भगवान शिव से क्षमा मांगी। भगवान शिव ने उसे माफ करते हुए कहा कि कलयुग में लोग तुम्हारें नाम से मेरी पूजा करेगें। इसलिए इस स्थान का नाम “ताड़केश्वर महादेव” पड़ा। कई युगों पहले ताड़केश्वर महादेव मंदिर में शिवलिंग मौजूद था, लेकिन अब भगवान शिव की मूर्ति मौजूद है जिसकी पूजा होती है । भगवान शिव जी की मूर्ति उसी जगह हैं जहां पर शिवलिंग मौजूद था।

ताड़केश्वर महादेव मंदिर में प्रति वर्ष महाशिवरात्रि के त्योहार पर जलाभिषेक करते हैं। ताड़केश्वर महादेव मंदिर में भारत के कई छोटे-बडे शहरों से दर्शन हेतु भक्त आते है। कई भक्तों का यह भी मानना है कि भगवान शिव अभी भी इस स्थान पर है और गहरी नींद में है। मंदिर में भक्तों द्वारा अर्पित की गई कई हजारों घंटियों के देखा जा सकता है।











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