बासुकेदार मंदिर - उत्तराखंड

महत्वपूर्ण जानकारी

  • स्थान: बसुकेदार, जिला रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड - 246425।
  • खुलने और बंद होने का समय: सुबह 05:00 बजे से रात 09:00 बजे तक।
  • निकटतम रेलवे स्टेशन: बसुकेदार मंदिर से लगभग 176 किलोमीटर की दूरी पर ऋषिकेश रेलवे स्टेशन और बसुकेदार मंदिर से लगभग 212 किलोमीटर की दूरी पर देहरादून रेलवे स्टेशन।
  • निकटतम हवाई अड्डा: बसुकेदार मंदिर से लगभग 191 किलोमीटर की दूरी पर जॉली ग्रांट हवाई अड्डा।
  • क्या आप जानते हैं - बसुकेदार मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाया था जो 1000 साल पुराना है।

बसुकेदार मंदिर हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है विशेषकर भगवान के भक्तों के लिए। बसुकेदार मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक विशेष प्रतिष्ठित मंदिर है। इस मंदिर का नाम भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिरों में आता है। बसुकेदारन मंदिर भारत के राज्य उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के बसुकेदार गांव में स्थित है। यह मंदिर ऋषिकेश से लगभग 180 किलोमीटर के दूरी पर स्थित है।

बसुकेदार मंदिर, उत्तराखंड के दिव्य धाम केदारनाथ और बद्रीनाथ के राजमार्ग पर स्थित है। यह दो धाम की ओर जाने वाले रास्ते पर स्थित है।

बसुकेदार मंदिर का निर्माण

बसुकेदार का यह मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य के साथ आध्यात्मिक ऊर्जा भी फैलाता है। बसुकेदार मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाया था जो 1000 वर्ष पुराना है। इसलिए, बसुकेदार मंदिर को पांडवों कालीन मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर के आसपास का क्षेत्र योग साधकों, यात्रियों और आध्यात्मिक साधकों के लिए आध्यात्मिक स्वर्ग है। मंदिर परिसर में भगवान शिव को समर्पित मुख्य बसुकेदार मंदिर और विभिन्न देवी-देवताओं के लगभग 25 अन्य छोटे मंदिर हैं।

बसुकेदार मंदिर का इतिहास

महाभारत के युद्ध में पांडव ने युद्ध में अपने कई लोगों को मारा था। पांडव को अपने पापों से मुक्ति के लिए भगवान शिव का आशीर्वाद पाना था। इसलिए, पांडव भगवान शिव की खोज के निकले थे, यह वह स्थान है जहां पांडवों ने भगवान शिव को उनके भैंसे के रूप में देखा था। भगवान शिव पांडवों से नाराज थे, इसलिए पांडवों के दर्शन नहीं दिये और गायव होकर केदारनाथ चले गए थे।

बसुकेदार गांव, केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने का एक प्राचीन मार्ग है। तीर्थयात्रियों और भक्तों ने केदारनाथ मंदिर तक पहुंचने के लिए इस गांव को अपने रास्ते के रूप में इस्तेमाल किया।
अन्य किंवदंतियों के अनुसार, भगवान शिव केदारनाथ लौटते समय रात्रि में विश्राम करने के लिए इसी स्थान पर ठहरते हैं। इस प्रकार यह स्थान बसुकेदार के नाम से जाना जाता है।











2024 के आगामी त्यौहार और व्रत











दिव्य समाचार











Humble request: Write your valuable suggestions in the comment box below to make the website better and share this informative treasure with your friends. If there is any error / correction, you can also contact me through e-mail by clicking here. Thank you.

EN हिं