नन्दीपुर शक्ति पीठ हिन्दूओं के एक लिए पवित्र स्थान है जो कि भारत के राज्य पश्चिम बंगाल (कोलकत्ता) के सैन्थया में स्थित है। यह शक्ति पीठ एक वटवक्ष नीचे स्थित है। नन्दीपुर शक्तिपीठ के नन्दिकेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। नन्दीपुर शक्ति पीठ में देवी, एक कछुआ के आकार की चट्टान के रूप में विराजमान है। इस चट्टान को सिन्दूर से पूरी तरह रंगा जाता है। देवी के इस रूप पर एक चांदी का मुकुट और सोने की तीन आँखे है। इस मंदिर में अन्य देवी देवताओं के छोटे बड़े मंदिर स्थापित है। इस परिसर में एक पवित्र पेड़ है जिस पर भक्त अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए लाल धागा बांधते है।
यह मंदिर माता के 51 शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर में शक्ति को ‘नन्दिनी’ के रूप पूजा जाता है और भैरव को ‘नन्दिकेश्वर’ के रूप में पूजा जाता है। पुराणों के अनुसार जहाँ-जहाँ सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहाँ-वहाँ शक्तिपीठ अस्तित्व में आये। ये अत्यंत पावन तीर्थस्थान कहलाते हैं। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हुए हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती ने उनके पिता दक्षेस्वर द्वारा किये यज्ञ कुण्ड में अपने प्राण त्याग दिये थे, तब भगवान शंकर देवी सती के मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्माण चक्कर लगा रहे थे इसी दौरान भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया था, जिसमें से सती का ‘कण्ठहार’ इस स्थान पर गिरा था।
नन्दीपुर शक्ति पीठ में सभी त्यौहार मनाये जाते है विशेष कर दुर्गा पूजा और नवरात्र के त्यौहार पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इन त्यौहारों के दौरान, कुछ लोग भगवान की पूजा के प्रति सम्मान और समर्पण के रूप में व्रत (भोजन नहीं खाते) रखते हैं। त्यौहार के दिनों में मंदिर को फूलो व लाईट से सजाया जाता है। मंदिर का आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं के दिल और दिमाग को शांति प्रदान करता है।