किरीट शक्तिपीठ व किरीतेस्वरी मंदिर भारत के राज्य कोलकाता (पश्चिम बंगाल) के मुर्शिदाबाद जिले में नाबाग्राम (सामुदायिक विकास खंड) के तहत किरीटकोना गांव में स्थित है। । किरीट शक्तिपीठ को का मुक्तेश्वरी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि इस स्थान पर माता सती का मुकुट गिरा था।
पुराणों या हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार इस स्थान को किरितेश्वरी नाम दिया गया था। किरीतेस्वरी मंदिर 51 शक्ति पीठ में से है। यहां की शक्ति विमला अथवा भुवनेश्वरी तथा भैरव संवर्त हैं। इस मंदिर का निर्माण 1000 साल से अधिक पुराना है। इस स्थान का महामाया का सोने का स्थान माना जाता है। स्थानीय लोग इस मंदिर को महिषामार्डिनी कहते हैं। मूल मंदिर को 1405 में नष्ट हो गया था। वर्तमान मंदिर का निर्माण 19वीं शताब्दी में लालगोला के राजा दरपनारायण ने किया था। यह मुर्शिदाबाद जिले का सबसे पुराना मंदिर है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती ने उनके पिता दक्षेस्वर द्वारा किये यज्ञ कुण्ड में अपने प्राण त्याग दिये थे, तब भगवान शंकर देवी सती के मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्माण चक्कर लगा रहे थे इसी दौरान भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया था, जिसमें से सती का मुकुट इस स्थान पर गिर था।
किरीतेस्वरी मंदिर में सभी त्यौहार मनाये जाते है विशेष कर दुर्गा पूजा व नवरात्र के त्यौहार पर विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। इस दिन मंदिर को फूलो व लाईट से सजाया जाता है। मंदिर का आध्यात्मिक वातावरण श्रद्धालुओं के दिल और दिमाग को शांति प्रदान करता है।