फाल्गुन हिन्दू धर्म में एक मास का नाम होता है, जिसे चन्द्र हिन्दू कैलेंडर में फाल्गुन मास कहा जाता है। हिन्दू धर्म विक्रम सवंत् के अनुसार 12 महीना होता है और हिन्दू कैलेंडर का अन्तिम मास होता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर में फरवरी व मार्च का महीना होता है। इसके बाद चैत्र का महीना आता है जिसे हिन्दू नववर्ष की शुरूआता माना जाता है।
हिन्दू पंचाग के अनुसार प्रत्येक मास का अपना महत्व होता है इस प्रकार फाल्गुन मास का भी महत्व है। फाल्गुन मास में धीरे धीरे गर्मी की शुरूआत होती है और सर्दी कम होने लगती है। फाल्गुन के महीनें में हिन्दू धर्म का सबसे प्रसिद्ध त्योहार होली मनाई जाती है। ऐसा कहा जा सकता है कि होली के त्योहार से साथ एक सौर वर्ष ही समाप्ति होती है। सौर धार्मिक कैलेंडर में फाल्गुन का मास सूर्य के मीन राशि में प्रवेश के साथ शुरू होता है।
विक्रम संवत में फाल्गुन का महीना बारहवां महीना होता है। हिन्दू धर्म महीनों के नाम नक्षत्रों पर आधारित होते है। हिन्दू धर्म में महीना का बदलना चन्द्र चक्र पर निर्भर करता है, चन्द्रमा जिस नक्षत्र पर होता है उस महीने का नाम उसी नक्षत्र के आधार पर रखा जाता है। फाल्गुन मास की पूर्णिमा को चंद्रमा फाल्गुनी नक्षत्र में रहता है इसलिए इस मास को फाल्गुन का मास कहा जाता है। फाल्गुन मास में सूर्य मीन राशि में प्रवेश करता है।
इस्कॉन संस्था से जुडे लोगों के लिए फाल्गुन का महीनां विशेष होता है। संत चैतन्य महाप्रभु (1486-1534) के जन्म का उत्सव मनाने वाली गौर-पूर्णिमा भी इसी फाल्गुन महीने में आती है।
फाल्गुन मास का हिन्दू धर्म में विशेष महत्व होता है, इस महीनें में होली, विजय एकादशी, फुलेरा दूज, महाशिवरात्रि और अन्य त्योहार मनायें जाते हैं। फाल्गुन मास में श्रीकृष्ण की पूजा के लिए विशेष फलदायी माना जाता है। इस दौरान श्रीकृष्ण के 3 स्वरूपों- बाल कृष्ण, युवा कृष्ण और गुरु कृष्ण की पूजा की जाती है। साथ ही पौराणिक मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन के महीने में ही चंद्रदेव का जन्म हुआ था, इसलिए इस माह चंद्र देव की भी पूजा की जाती है। इस महीनें मे दान, पुण्य और तर्पण करना लाभदायक माना जाता हैं।