एक बार तुलसी दास जी से किसी ने पूछा - ‘कभी-कभी भक्ति करने को मन नहीं करता फिर भी नाम जपने के लिये बैठ जाते है, क्या उसका भा कोई फल मिलता है’?
तुलसी दास जी ने मुस्करा कर कहा -
तुलसी मेरे राम को रीझ भजो या खीज।
भौम पड़ा जामे सभी उल्टा सीधा बीज।।
अर्थात् - भूमि में जब बीज बोये जाते हैं, तो यह नहीं देखा जाता कि बीज उल्टे पड़े हैं या सीधे पर फिर भी कालांतर में फसल बन जाती है, इसी प्रकार नाम सुमिरन कैसे भी किया जाये उसके सुमिरन का फल अवश्य ही मिलता है।
भगवान का नाम हमेशा जपना चाहिए। यह जरूरी नहीं कि मुख से जोर-जोर से भगवान का नाम बोला जाये, अपने मन में भी ध्यान करके भी भगवान राम, श्रीकृष्ण या जगत गुरू भगवान शिव आदि का नाम जपा जा सकता है। किसी भी परिस्थिति में ईश्वर का नाम लेने से सभी मुश्किलें का हल पाया जा सकता है।
नामजप कीर्तन की इतनी भारी महिमा है कि वेदों, पुराणों - सभी ग्रंथों में भगवान नाम का कीर्तन की महिमा गायी गयी है। भगवान के जिस विशेष विग्रह को लक्ष्य करके भगवान नाम लिया जाता है। वह तो कब का पंचभूतों में विलीन को चुका, फिर भी भक्त की भावना और शास्त्रों की प्रतिज्ञा है, कि राम, कृष्ण, श्रीहरि और शिव आदि के नामों का कीर्तन करने से अनंत फल मिलता है।
ऐसा माना जाता है कि कलयुग में भगवान का नाम जपने से ही सभी दुखों को समाप्त किया जा सकता है। भगवान के नाम सुमिरन कैसे भी किया जाये फल अवश्य ही मिलता है। भगवान राम के महिमा अनत है, राम का नाम जपने से कलयुग में मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस प्रकार श्रीहरि के नाम की महिमा भी अनत है। श्रीहरि के नाम की महिमा -
ये वदन्ति नरा नित्यं हरिरित्यक्षरद्वयम्।
तस्योच्चारणमात्रेण विमुक्तास्ते न संशयः।।
अर्थात् - जो मनुष्य परमात्मा के दो अक्षर वाले ‘हरि’ के नाम का उच्चारण करते हैं, वे उसके उच्चारण मात्र से मुक्त हो जाते हैं, इसमें शंका नहीं है।
इसी प्रकार -
हरे राम हरे कृष्ण कृष्ण कृष्णेति मंगलम्।
एवं वदन्ति ये नित्यं न हि तान् बाधते कलिः।।
अर्थात् - हरे राम! हरे कृष्ण! कृष्ण! कृष्ण! ऐसा जो सदा कहते हैं, उन्हें कलियुग में कोई भी हानि नहीं पहुँजा सकता है।