भोक्तारं यज्ञतपसां सर्वलोकमहेश्वरम् ।
सुहृदं सर्वभूतानां ज्ञात्वा मां शान्तिमृच्छति ॥29॥
अर्थ: जो भक्त मुझे समस्त यज्ञों और तपस्याओं का भोक्ता, समस्त लोकों का परम भगवानऔर सभी प्राणियों का सच्चा हितैषी समझते हैं, वे परम शांति प्राप्त करते हैं।
भोक्तारम्-भोक्ता;
यज्ञ-यज्ञ;
तपसाम्-तपस्या;
सर्वलोक-सभी लोक;
महाईश्वरम्-परम् प्रभुः
सुहृदम्-सच्चा हितैषी;
सर्व-सबका;
भूतानाम्-जीव;
ज्ञात्वा-जानकर;
माम्-मुझे, श्रीकृष्ण;
शान्तिम्-शान्ति;
ऋच्छति-प्राप्त करता।