हिन्दू धर्म मेें मंत्रो का अपने विशेष महत्व होता है इसलिए प्रत्येक कार्यो के लिए अलग-अलग मंत्रों का उल्लेख बताया गया है। यह तक कि भोजन करने से पहले शास्त्रों में मंत्र का उल्लेख किया गया है। भोजन मंत्र के द्वारा हम उनके द्वारा दिये गये भोजन के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करते हैं और धन्यवाद देते हैं तथा कामना करते हैं कि इस संसार में कोई भूखा न रहे।
ऐसा कहा जाता है कि व्यक्ति जैसा भोजन करता है वैसा ही उसका चरित्र बनता है। इसलिए भोजन करने से पहले मंत्र का जाप करना चाहिए।
भोजन से पहले लेख में दिये गए मंत्र का उच्चारण करने से मन पूरी तरह से शुद्ध और शांत हो जाता है। मंत्र द्वारा उत्पन्न पवित्र ऊर्जा के कारण शरीर में पाचक रसों का अच्छे से निर्माण होता है, जो भोजन को ठीक से पचाने में मदद करता है और शरीर को उचित ऊर्जा भी देता है।
ब्रह्मार्पणं ब्रह्म हविर्ब्रह्माग्नौ ब्रह्मणा हुतम् |
ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्मसमाधिना || 24||
अर्थ: जो लोग पूरी तरह से ईश्वर-चेतना में लीन हैं, उनके लिए ब्रह्म ब्रह्म है, जिस हवन में सामग्री को अर्पित किया जाता है, वह ब्रह्म है, अर्पण का कार्य ही ब्रह्म है, और यज्ञ की अग्नि भी ब्रह्म है। ऐसे व्यक्ति, जो सब कुछ भगवान के रूप में देखते हैं, आसानी से उसे प्राप्त कर लेते हैं।
ॐ सह नाववतुसहनौ भुनक्तु।
सहवीर्यं करवावहैतेजस्विनावधीतमस्तुमा विद्विषा वहै॥
ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥
अर्थ: हे सर्व रक्षक परमेश्वर! हम दोनों (गुरू और शिष्य) की साथ साथ रक्षा कीजिए। हम दोनों का साथ साथ पालन कीजिए।
ओ3म् अन्नपतेSन्नस्य नो देह्यनमीवस्य शुष्मिणः।
प्र प्रदातारं तारिष ऊर्ज्जं नो धेहि द्विपदे चतुष्पदे ।।
ओ3म् शान्तिः शान्तिः शान्तिः ! - यजुर्वेद ११.८३
अर्थ: हे अन्न, और सभी खाद्य पदार्थों के प्रभु प्रदाता आज हमें भोजन देने के लिए धन्यवाद। यह भोजन सड़न रहित और पौष्टिक हो सकता है, और यह मेरे शरीर, मन और आत्मा के लिए अच्छा हो, मैं प्रार्थना करता हूं! हे दाताओं और अन्न के प्रदाता, सभी जीवितों को प्रतिदिन उनका भरण-पोषण प्राप्त हो सकता है! सभी जगह, हर समय, सभी पर शांति हो!
आयुर्वेद के अनुसार, भोजन तीन प्रकार के होते हैं - सत्त्व, राजस और तमस - सात्विकता, रजोगुण या तमोगुणी खाद्य पदार्थ।