जालंधर शक्ति पीठ हिन्दूओं के लिए धार्मिक स्थान है। यह शक्ति पीठ देवी तालाब मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह मंदिर भारत के पंजाब राज्य के जालंधर में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर 200 वर्ष प्राचीन है। इस मंदिर के पास एक तालाब है जिसको पवित्र माना जाता है।
माना जाता है कि यह मंदिर माता के 51 शक्ति पीठों में से एक है और इस स्थान पर माता सती का बांया स्तन गिरा था। यहां शक्ति की पूजा ‘त्रिपुरमालिनी’ के रूप में की जाती है और भैरव की (जो कि भगवान शिव का एक रूप है) पूजा ‘भीषण’ के रूप में की जाती है। पुराणों के अनुसार जहाँ-जहाँ सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहाँ-वहाँ शक्तिपीठ अस्तित्व में आये। ये अत्यंत पावन तीर्थस्थान कहलाते हैं। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हुए हैं।
ऐसी मान्यता है कि, जालंधर में स्थित शक्ति पीठ विवरण, किसी भी धार्मिक ग्रंथ में नहीं मिलता है। अनुमानतः कांगड़ा घाटी, हिमाचल प्रदेश को मानना उचित होगा। जिसमें ‘कांगड़ा शक्ति पीठ’ है। यह तीन जाग्रत देवियाँ-चिन्तापूर्णी, ज्वालामुखी और विधेश्वरी व कांगड़ा माता विराजमान है। यहाँ विश्वमुखी देवी का मंदिर है, जहाँ पीठ स्थान पर स्तन मूर्ति कपड़े से ढंकी रहती है और धातु निर्मित मुखमण्डल बाहर दिखता है। इसे ‘स्तनपीठ’ एवं ‘त्रिगर्त तीर्थ’ भी कहते हैं और यही ‘जालंधर पीठ’ नामक शक्तिपीठ माना जाता है। यहाँ सती के बायां स्तन का निपात हुआ था।