इस्काॅन मंदिर एक हिन्दू मंदिर है जो कि भगवान श्री कृष्ण और उनके भाई बलराम दोनों को समर्पित है। इस्काॅन मंदिर को श्री कृष्ण बलराम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस्काॅन मंदिर भक्तिवेदांत स्वामी मार्ग, रमन रेती, वृंदावन, उत्तर प्रदेश में स्थित है। इस मंदिर की स्थापना 1975 में इस्काॅन संस्था के संस्थापक श्री स्वामी प्रभुपाद द्वारा व्यक्तिगत रूप से किया गया था।
ऐसा माना जाता है कि यह मंदिर ठीक उसी जगह पर बना है, जहां आज से 5000 साल पहले भगवान कृष्ण दूसरे बच्चों के साथ खेला करते थे। यहां पर भगवान कृष्ण अपने भाई बलराम के साथ यमुना नदी के पास रमन रेती पर अपनी गायों के झंुड साथ आये करते थे।
इस्काॅन मंदिर सफेद सगंमरमर से बनाया गया है। मंदिर की दीवारों पर खूबसूरत नक्काशी और पेंटिंग भी की गई है, जिसमें भगवान कृष्ण की शिक्षा और अनके जीवन से जुड़ी घटनाओं का सुन्दर वर्णन किया गया है। वंृदावन में भगवान कृष्ण के बहुत से मंदिर है परन्तु इस्काॅन मंदिर सभी मंदिरों से अलग है, क्योंकि भक्त यहां पर सिर्फ पूजा करने के लिए ही नहीं आते, बल्कि यहां आकर साधना और पवित्र श्रीमद् भागवन गीता का पाठ भी करते है।
इस्काॅन मंदिर मे पूरे वर्ष भक्त बड़ी संख्या में आते है विशेष कर विदेशी पर्यटक। श्री कृष्ण जन्मअष्टमी का त्यौहार बड़ी ही धूम धाम से मनाया जाता है। भारतीयों से ज्यादा यहां विदेशी पर्यटक अध्यात्म और ज्ञान की प्राप्ति के लिए आते हैं। यहां वैदिक ज्ञान के बारे में अंग्रेजी में भी बताया जाता है।
इस्कॉन मंदिर तीन वेदिया है। इस्कॉन मंदिर के मध्य वेदी दिव्य भाइयों-श्री कृष्ण और बलराम की पवित्र और अलंकृत-मूर्तियां रखी गई है। श्री स्वामी प्रभुपाद, इस्कॉन के संस्थापक थे जिनकी 1977 में मृत्यु हो गई थी और मंदिर परिसर में उनका स्मारक है।
इस्काॅन संस्था की स्थापना न्यूयाॅर्क शहर में भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद द्वारा 1966 की गई थी। इस समाज की मूल मान्यतायें पारंपरिक हिंदू शास्त्र भागवद गीता पर आधारित हैं। मूल रूप से भगवान श्री कृष्ण के प्रति अपने विचारों और कार्यों को समर्पित, जिसमें भक्ति योग का अभ्यास, प्रसार करने के लिए इस्कॉन संस्था बनाई गई थी।
मंदिर का वातारण बहुत ही आध्यात्मिक और भक्तिमय है जिसमें भक्तों को आंनद की प्राप्ति होती है। इस्काॅन मंदिर में आयोजित शाम श्री कृष्ण आरती (प्रार्थना), बहुत लोकप्रिय है। प्रसिद्ध गीत ‘हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे’ आरती के दौरान पुजारियों और भक्तों द्वारा सामूहिक रूप से गाया जाता है और यहां पारंपरिक वस्त्र को आज भी धारण किया जाता हैं।
मंदिर परिसर के भीतर धार्मिक पुस्तकें, गहने और पारंपरिक कपड़े बेचते हैं कि कुछ स्टालों का एक साथ एक छोटा सा क्षेत्र है।