यह मंत्र भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों और उनके कार्यों की महिमा का बखान करता है। इसमें उन्हें अलग-अलग रूपों में, जैसे वासुदेव, राम, नारायण, और कृष्ण के रूप में संबोधित किया गया है। हर पंक्ति में भगवान के प्रति श्रद्धा और समर्पण का भाव है, और भक्त उनसे शरण लेने की विनती कर रहा है। यह मंत्र हमें यह सिखाता है कि भगवान की शरण में जाकर ही मन की शांति और मुक्ति प्राप्त की जा सकती है।
ॐ श्रीवासुदेव पुत्रनाभाय केशव हरे शरणागतं माम
हे केशव! जो वासुदेव के पुत्र हैं, मैं आपकी शरण में आया हूं।
इस पंक्ति में भगवान विष्णु को "वासुदेव" कहा गया है, जो देवकी और वासुदेव के पुत्र के रूप में जाने जाते हैं। यहाँ, "शरणागतं माम" का अर्थ है "मैं आपकी शरण में हूँ"।
वैकुंठनाथ धरणीधर धर्मपालाय केशव हरे शरणागतं माम
हे वैकुंठनाथ, धरणी को धारण करने वाले और धर्म के रक्षक, मैं आपकी शरण में हूँ।
यहाँ, भगवान विष्णु को वैकुंठनाथ कहा गया है, जो वैकुंठ (भगवान का निवास) के स्वामी हैं। वे पृथ्वी के संरक्षक और धर्म के रक्षक हैं।
लक्ष्मीपते कमललोचन कर्षारे वाराह वामन जनादनांसूनो
हे लक्ष्मीपति, कमल जैसी आँखों वाले, राक्षसों के शत्रु, वाराह और वामन अवतार वाले, मैं आपकी शरण में हूँ।
इसमें भगवान को लक्ष्मी के पति के रूप में संबोधित किया गया है। वे अपने विभिन्न अवतारों जैसे वाराह और वामन में पृथ्वी को राक्षसों से बचाने वाले हैं।
पीतांबरतुत हरे मधुकैटभारे केशव हरे शरणागतं माम
हे पीताम्बरधारी, मधु और कैटभ राक्षसों के संहारक, मैं आपकी शरण में हूँ।
भगवान विष्णु को पीले वस्त्र धारण करने वाले के रूप में जाना जाता है और उन्होंने मधु-कैटभ नामक राक्षसों का नाश किया था।
श्रीरामचंद्र रघुनाथ जगज्जयी राजीवलोचन धनुधर रावणारे
हे श्रीरामचंद्र, रघुकुल के स्वामी, विश्वविजयी, कमल के समान आँखों वाले, धनुषधारी और रावण के शत्रु, मैं आपकी शरण में हूँ।
इस पंक्ति में भगवान राम का वर्णन है जो रावण का संहार करने वाले और धर्म के रक्षक हैं।
सीतापते रघुपते रघुवीर राम केशव हरे शरणागतं माम
हे सीतापति, रघुकुल के स्वामी, बलवान राम, मैं आपकी शरण में हूँ।
यह भगवान राम के प्रति भक्त का समर्पण दर्शाता है, जो सीता के पति और रघुवंश के वीर हैं।
नारायणाभय विभो भवब्रह्माश वेदवेद यंत्रवित्वे केशव हरे शरणागतं माम
हे नारायण, सबके स्वामी, ब्रह्मा और शिव के सहायक, और वेदों के ज्ञाता, मैं आपकी शरण में हूँ।
इसमें नारायण को सृष्टि के पालनहार और वेदों के ज्ञाता के रूप में पूजा गया है।
गोपीपते यस्तपते नवनीतचौर वृंदावनेश मुरलीधर पंपाणे
हे गोपियों के स्वामी, माखन चुराने वाले, वृंदावन के अधिपति, मुरलीधारी, मैं आपकी शरण में हूँ।
भगवान कृष्ण को गोपियों के प्रिय, माखन चुराने वाले और मुरली बजाने वाले के रूप में वर्णित किया गया है।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय:
अर्थ: "मैं भगवान वासुदेव (भगवान विष्णु) को प्रणाम करता हूँ।
यह मंत्र भगवान विष्णु के वासुदेव स्वरूप की स्तुति और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए है। इसे भक्ति और समर्पण की भावना से उच्चारित किया जाता है।
ॐ नमो नारायण:
अर्थ: "मैं भगवान नारायण को प्रणाम करता हूँ।"
यह एक छोटा और शक्तिशाली मंत्र है जिसमें भगवान विष्णु के नारायण स्वरूप को संबोधित किया गया है। 'नारायण' का अर्थ है वह जो जल में वास करते हैं, और यह भगवान के जीवनदायिनी स्वरूप को दर्शाता है।