मिथिला शक्तिपीठ हिन्दूओं के धार्मिक स्थलों में से एक है। मिथला शक्तिपीठ में माता सती के बांये कंधे का निपात हुआ था। ऐसा माना जाता है मिथिला शक्तिपीठ के निश्चित स्थान को लेकर अभी भी मतभेद है अर्थात् सही स्थान को लेकर अनेक मत-मतांतर है। मिथिला शक्तिपीठ को तीन मुख्य स्थानों के मंदिरों को शक्ति पीठ माना जाता है।
मिथिला शक्तिपीठ को भारत और नेपाल की सीमा पर दरभंगा में स्थित माना जाता है। यह स्थान अन्य स्थानों से ज्यादा लोकप्रिय माना जाता है। इस मंदिर में देवी उमा और भगवान महोदर की मूर्ति इस मंदिर में स्थापित है।
यह मंदिर माता के 51 शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर में शक्ति को ‘उमा’ या ‘महादेवी’ के रूप पूजा जाता है और भैरव को ‘महोदर’ के रूप में पूजा जाता है। पुराणों के अनुसार जहाँ-जहाँ सती के अंग के टुकड़े, धारण किए वस्त्र या आभूषण गिरे, वहाँ-वहाँ शक्तिपीठ अस्तित्व में आये। ये अत्यंत पावन तीर्थस्थान कहलाते हैं। ये तीर्थ पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में फैले हुए हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी सती ने उनके पिता दक्षेस्वर द्वारा किये यज्ञ कुण्ड में अपने प्राण त्याग दिये थे, तब भगवान शंकर देवी सती के मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्माण चक्कर लगा रहे थे इसी दौरान भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया था, जिसमें से सती का ‘बांया कंधा’ इस स्थान पर गिरा था।