गौरी कुण्ड भारत के राज्य उत्तराखंड में स्थित है। इस स्थान पर माता पार्वती का मंदिर है। गौरी कुण्ड उत्तर भारत की हिन्दूओं प्रसिद्ध तीर्थ चार धाम यात्रा के एक धाम केदारनाथ की यात्रा के दौरान पड़ता है। केदारनाथ की पैदल यात्रा के दौरान यह स्थल यात्रियों के लिए आधार शिविर है। गौरी कुण्ड समुद्र तल से 6502 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। गौरी कुण्ड का यह धार्मिक स्थल भगवान शिव की पत्नी माता पार्वती से जुड़ा हुआ है। माता पार्वती को गौरी भी कहा जाता है। यात्री केदारनाथ यात्रा के दौरान इस स्थान पर रूकते है और इस कुण्ड में स्नान कर यात्रा के लिए आगे बढ़ते है। इस कुण्ड में गर्म पानी की धारा बहती रहती है।
हिन्दू लोक कथा में, माता पार्वती ने भगवान शिव की पहली पत्नी सती का पूनः जन्म लिया था। इसलिए पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए इस स्थान पर तपस्या की थी। माना जाता है कि जब तक भगवान शिव ने उनका प्रेम स्वीकार नहीं किया, तब तक माता पार्वती इसी स्थान पर रहा करती थी। अतः में भगवान शिव ने माता पार्वती के प्रेम को स्वीकार किया। माता पार्वती और भगवान शिव का विवाह त्रियुगीनारायण स्थान पर हुआ था, जो गौरी कुण्ड से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
एक ओर पौराणिक कथा इस स्थान से जुड़ी हुई है। माता पार्वती इस कुण्ड में स्नान करते हुए अपने शरीर के मैल से गणेश को बनाया था और प्रवेश द्वार पर खडा किया। जब भगवान शिव इस स्थान पर पहुंचे तो गणेश ने उन्हें रोक दिया था। इस पर भगवान शिव क्रोधित हो गये और गणेश का सिर काट दिया। माता पार्वती बहुत दुःखी और क्रोधित हो गई। माता पार्वती ने अपने बेटे गणेश का जीवित करने को कहा। भगवान शिव ने हाथी का सिर गणेश के शरीर पर लगा दिया था। इस प्रकार भगवान गणेश के जन्म और हाथी के सिर की कथा इस स्थान से जुड़ी हुई है।