भरमौर, चंबा जिले का एक प्राचीन और धार्मिक स्थल है, जो अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर भारत के राज्य हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के भरमौर शहर में स्थित है। यह मंदिर भरमौर के 84 मंदिर परिसर में से एक है। भरमौर के 84 मंदिर परिसर में धर्मराज या यमराज मंदिर को धर्मेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत का एक मात्र ऐसा मंदिर है जहां आत्माओं के भाग्य का फैसला किया जाता है। यह धार्मिक नगरी भरमौर का सबसे प्रमुख और अद्वितीय मंदिर है धर्मराज या यमराज का मंदिर, जिसे धर्मेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि अपनी अद्वितीयता के कारण भी विशेष स्थान रखता है। इसे दुनिया में भगवान धर्मराज या यमराज का एकमात्र मंदिर माना जाता है। इसलिए कई श्रद्धालु इस मंदिर में जाने से डरते भी हैं और कई श्रद्धालुओं के लिए आर्कषण का कारण भी बनता है। यह मंदिर हर साल हजारों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करता हैं।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, धर्मराज आत्माओं के भाग्य का फैसला करते हैं कि उन्हें स्वर्ग जाना चाहिए या नर्क। भरमौर का यह मंदिर धर्मराज के न्यायालय के रूप में जाना जाता है। मंदिर के सामने चित्रगुप्त का आसन है और एक खाली कमरा है जिसे चित्रगुप्त का कमरा माना जाता है। चित्रगुप्त मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखते हैं और धर्मराज को यह तय करने में मदद करते हैं कि कौन स्वर्ग जाएगा और कौन नर्क।
धर्मेश्वर महादेव के नाम से जाना जाने वाला यह मंदिर चैरासी मंदिर परिसर के उत्तरी कोने पर स्थित है। इसे मारू वर्मन द्वारा बनवाया गया था। अब यह मंदिर पत्थर और लकड़ी से बना है, और इसकी छत स्लेट से ढकी हुई है। इसे स्थानीय तौर पर श्ढाई-पोड़ीश् कहा जाता है, जिसका मतलब है ढाई सीढ़ियाँ। ये सीढ़ियाँ अब मंदिर के नीचे स्थित हो सकती हैं।
मंदिर के नीचे एक बड़ी गुफा है, जो अब खुली नहीं है। स्थानीय लोगों का मानना है कि भगवान धर्मराज द्वारा आत्मा के भाग्य का फैसला किए जाने के बाद हर इंसान की आत्मा उस गुफा से होकर गुजरती है। यह माना जाता है कि हर दिवंगत आत्मा आगे बढ़ने के लिए धर्मराज से अंतिम अनुमति लेने के लिए यहाँ खड़ी होती है। यह मान्यता इसे अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण बनाती है।
धर्मराज मंदिर से कई कहानियाँ और लोककथाएँ जुड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि जब चम्बा के राजा को धर्मेश्वर महादेव के मंदिर के सामने खड़े होकर चैरासी के चारों ओर परिक्रमा करते हुए और अपने घोड़े पर सवार होकर कैलाश की ओर जाते हुए देखा गया, तो इसे चम्बा शहर में अपने महल में राजा की मृत्यु का संकेत माना गया। इस प्रकार की कहानियाँ इस मंदिर की पवित्रता और महत्व को और बढ़ा देती हैं।