चौरासी मंदिर हिन्दू धर्म में अपना विशेष महत्व रखता हैं और चौरासी मंदिर एक प्राचीन और महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर भारत के राज्य हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के भरमौर शहर में स्थित है। यह मंदिर परिसर, जो 84 अलग-अलग मंदिरों से बना है, लगभग 1400 साल पुराना है और इसका धार्मिक महत्व अत्यधिक है। भरमौर के लोगों का जीवन इस मंदिर परिसर के इर्द-गिर्द केंद्रित है, जिसे चौरासी मंदिर के नाम से जाना जाता है। चौरासी मंदिर भरमौर का ही नहीं बल्कि पूर भारत का धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर है। इसकी प्राचीनता, वास्तुकला, और धार्मिक महत्व इसे एक अद्वितीय स्थल बनाते हैं। चौरासी मंदिर में हर साल हजारों भक्त यहां आते हैं और अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं।
चौरासी मंदिर का निर्माण भरमौर के राजा साहिल वर्मन ने 7वीं शताब्दी में करवाया था। इस मंदिर परिसर का निर्माण 84 सिद्धों या योगियों के सम्मान में किया गया था, जो कुरुक्षेत्र से आए थे और मणिमहेश झील की यात्रा के दौरान भरमौर में ध्यान लगाया था। इन योगियों ने राजा साहिल वर्मन को दस बेटों और एक बेटी, चंपावती, का आशीर्वाद दिया, क्योंकि राजा का कोई उत्तराधिकारी नहीं था।
चौरासी मंदिर परिसर का केंद्र मणिमहेश मंदिर है, जिसकी वल्लभी-शिखर शैली की खूबसूरत वास्तुकला है। इस परिसर में 84 बड़े और छोटे मंदिर शामिल हैं, जो विभिन्न देवी-देवताओं को समर्पित हैं। इनमें से कई मंदिरों की समय-समय पर मरम्मत की गई है, लेकिन उनकी प्राचीनता और पवित्रता आज भी बनी हुई है। भरमौर के केंद्र में स्थित यह विशाल समतल मैदान एक रमणीय, स्वच्छ और मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है।
चौरासी मंदिर का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। यह कहा जाता है कि मणिमहेश झील की तीर्थयात्रा तब तक अधूरी मानी जाती है जब तक कि भक्त इन मंदिरों में मत्था नहीं टेकते। धर्मेश्वर महादेव (धर्मराज) मंदिर हिंदुओं के सबसे पूजनीय मंदिरों में से एक है। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश के भरमौर से 4 किमी दूर स्थित देवी ब्रह्माणी के भरमाणी माता मंदिर के कुंड में स्नान करना भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
चौरासी मंदिर परिसर में कई महत्वपूर्ण मंदिर हैं, जिनमें भगवान शिव और शक्ति की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु का एक मंदिर, जिसमें वे नरसिंह अवतार में हैं, भी इसी शैली में बना है। पूरा क्षेत्र और मंदिर भगवान शिव और शक्ति की पूजा के लिए समर्पित हैं, क्योंकि मान्यता है कि मणिमहेश कैलाश शिखर उनका निवास स्थान है और यह मोक्ष का वादा करता है।