जीण माता (देवी शक्ति का) का मंदिर अरावली पहाड़ियों में, सीकर जिले में, जयपुर से 115 किमी राजस्थान में स्थित है । जीण माता मां दुर्गा की अवतार है। जीण माता मंदिर शक्ति पीठ के रूप में जाना जाता है और असली नाम जंयतीमाला था। जीण माता के पवित्र मंदिर को एक हजार साल पुराना माना जाता है। इस मंदिर के निर्माण का सही समय पता नहीं है। ऐसा माना जाता है पांडवों काल के दौरान जब पांडवो को हस्तिनापुर से निर्वासन के दौरान पांडवों द्वारा बनाया गया था। जीण माता मंदिर शुरुआती समय से तीर्थ यात्रा की एक जगह रही थी और कई बार इस मंदिर कि मरम्मत की गई थी और कई बार फिर से बनाया था। मंदिर के चारों तरफ प्राकृतिक वनस्पति व जीव-जन्तुओं का सन्दुर नजारा है। मंदिर की वास्तुकला बहुत अच्छी है। मंदिर के मुख्य हाॅल के सभी खंभों पर उपर से नीचे उत्कीर्ण वनस्पतियों, फूल पत्तियां और जानवरों, नर्तकों और देवताओं के चित्र से कवर किया गये है।
यह घने जंगल से घिरा हुआ है। इसका पूरा नाम जयंती माता था। मंदिर का निर्माण लगभग 1200 साल पहले किया गया था। जीण माताजी का मंदिर प्रारंभिक समय से तीर्थस्थान था और कई बार इसकी मरम्मत और पुनर्निर्माण किया गया था।
ऐसा माना जाता है कि एक गांव चुरू जिले के धाबू गांव में एक राजा अप्सरा से प्यार करता था और इस शर्त पर शादी कर ली कि वह बिना किसी जानकारी के उसके स्थान पर नहीं आयेगा। राजा को एक पुत्र हर्ष और एक पुत्री जीण प्राप्त हुई। दोनों बच्चों ने चरम तप अभ्यास किया और हर्ष भैरों के अवतार के रूप में और बेटी जीण दुर्गा के अवतार के रूप का दर्जा प्राप्त किया। जीण माता को आठ हथियारों के साथ महिषासुर मर्दिनी दुर्गा के रूप में भी जाना जाता है।
यह पर आये भक्तों ठहरने के लिए बड़ी संख्या में धर्मशाला है। इस मंदिर की पहाड़ी की चोटी पर भाई हर्ष भैरव नाथ का मंदिर है। जीण माता मंदिर भारत व विदेशों के भक्तो की एक बड़ी संख्या को आकर्षित करता है। जीण माता मंदिर में भक्त अपने पूजा-अर्जना के लिए व दर्शन के लिए पूरे साल आते है। नवरात्रि त्योहार के अवसर पर विशेष पूजा कि व्यवस्था की जाती है।
जीण माता के मुख्य अनुयायियों में क्षेत्र के बनिया, राजपूद, जींगरा और मीना शामिल है। जीण माता शेखावाटी राजपूत, जींगरा, मीना और बनियों के कुलदेवी है। जीण माता के अनुयायियों की एक बड़ी संख्या में माता के दर्शन हेतु कोलकाता से भी आते हैे।
जीण माता मंदिर के महत्व के केंद्र में देवी जीण माता, जिन्हें जयंती माता के नाम से भी जाना जाता है, के प्रति भक्ति निहित है। भक्तों का मानना है कि वह दिव्य रक्षक देवी दुर्गा का अवतार हैं। माना जाता है कि मंदिर का नाम, "जीण", संस्कृत शब्द "ज्ञान" से लिया गया है, जिसका अर्थ ज्ञान है, जो ज्ञान और आत्मज्ञान प्रदान करने वाली देवी की भूमिका पर जोर देता है।
मंदिर की वास्तुकला अपने आप में एक चमत्कार है, जो पारंपरिक राजस्थानी शिल्प कौशल को प्रदर्शित करती है। जैसे ही आप मंदिर के पास पहुंचेंगे, आपका स्वागत आश्चर्यजनक नक्काशी, जटिल डिजाइन और इसकी संरचना को सुशोभित जीवंत रंग करेंगे। मंदिर का भव्य प्रवेश द्वार, अपने अलंकृत तोरणद्वारों और खूबसूरती से गढ़े गए स्तंभों के साथ, आगे की आध्यात्मिक यात्रा के लिए मंच तैयार करता है।
जीण माता मंदिर राजस्थान और उसके बाहर के लोगों के लिए अत्यधिक आध्यात्मिक महत्व रखता है। पूरे वर्ष भक्त मंदिर में आते रहते हैं, लेकिन यात्रा का सबसे शुभ समय देवी दुर्गा के नौ दिवसीय उत्सव, नवरात्रि उत्सव के दौरान होता है। इस अवधि के दौरान, मंदिर विस्तृत सजावट, भक्ति गीतों और भक्ति की स्पष्ट भावना के साथ जीवंत हो उठता है।
मंदिर परिसर में विभिन्न देवताओं को समर्पित कई मंदिर शामिल हैं, जो इसके आगंतुकों की विविध मान्यताओं और प्रथाओं को दर्शाते हैं। तीर्थयात्री जीण माता का आशीर्वाद लेने के लिए यहां आते हैं और मानते हैं कि उनकी दिव्य कृपा से उनकी इच्छाएं पूरी होंगी।